हाथ जोङ विनती करुं, सुनियो चित्त लगाय। दास आ गयों शरण में, रखियो इसकी लाज।।
धन्य ढुंढारों देश में, कुठानियां नगर सुजान। अनुपम छवि श्री मात की, दर्षन से कल्याण।।
चंद्र सूरज तपै, उद्गण तपै आकाश। इन सबसे बढकर तपै, देई माई का प्रकाश।।
सेवा पूजा बंदगी, सभी तुम्हारे हाथ। मैं तो कुछ जानूं नहीं, तुम जानों मेरी मात।।
शूक्ल पक्ष मेला भरे, उत्सव भारी होय। माता के दरबार से खाली जाय ना कोय।।
चावल, शक्कर दाल से, भोग भरां भरपूर। सब भक्तों की आश मां दर्शन दीयों जरुर।।
जय जय श्री देई माई, सत्य पुंज आधार। चरण कमल धरि ध्यान में, प्रणंबहु बारम्बार।।
उमा पति लक्ष्मी पति, सीता पति श्रीराम। लजा सबकी राखियों जो आवे इस धाम।।
मेरा अपना कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोय। तेरा तुझ को सौंप दुं, क्या लागत है मोय।।
मैया सब कुछ मांगल्यो, जो कुछ मेरे पास। दो नैना मत मांगियों, म्हानें थारे दरश की आश।।
जगदम्बा जगतारिणी, देई मां मेरी मात। भूल चूक सब माफ करो, सिर पर रखियो हाथ।।
सुमेर सिंह तो प्रेम से, धर्यो मात को ध्यान। सब संकट थे दूर करो, रखियो म्हारो मान।