श्री देई माई वंदनां

कर महर मेरी मैया, क्युं देर लगावे है, कद को तेरे द्वार खडयो, अब क्युं तरसावे है।।

थे गांव कुठानियां में, जाकर के विराजी है, मन में है आश धणी, थारे पर बाजी है।।

थारा सेवक थारी, नित ज्योत जगावे है, कद को तेरे द्वार खडयो, अब क्युं तरसावे है।।

मै काली कोसा सु, मेरी मात चल्यो आयो, श्रध्दा कें सिवा थारी, कुछ भेंट नहीं ल्यायो।।

तु अपनें भक्तों का, सब काज संवारे है, कद को तेरे द्वार खडयो, अब क्युं तरसावे है।।

ए सहस्त्र भुजावाली, मैनें थारो ही सहारो है, जब सिर पर हाथ थारो, के काल विचारो है।।

थारी शरणागत क, कुण हाथ लगावे है, कद को तेरे द्वार खडयो, अब क्युं तरसावे है।।